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सुन्दरता की वैसे तो कोई परिभाषा नहीं हैं पर  बहती नदीयों, ऊँचे पहाड़ों, घने जंगलों और  सागर के किनारों आदि की तुलना सुंदरता को आधार बनाकर की जा सकती हैं।    

देखने मात्र से ही ! 

क्यों के आँखे कुदरत का वो नायाब तोहफ़ा हैं जिस से हम देख पाते सुंदरता और कर पाते हैं अनुभव हर उस अहसास का जिससे आसान हो जाता है जीवन ।

पर बड़ा खेद होता है यह जानकार कर, के द्रस्टिहीनों की तादात में हमारा देश पहले पायदान पर हैं।एक गणना के अनुसार भारत में लगभग 4950000 लोग द्रस्टिहीन है जिसमे 240000 तो सिर्फ बच्चे हैं।70 लाख तक का आंकड़ा द्रस्टिबाधित लोगों का हैं।

इन दुःखद आंकड़ों से आहत मन में सहानुभूति लाने के अलावा भी क्या हम कुछ कर सकते हैं ????? 

इस सन्दर्भ में ज़वाब है – एक्विटास बैंक और उनकी बियॉन्ड बैंकिंग सोच का !  क्या है ये बियॉन्ड बैंकिंग सोच?  और कैसे करती है ये काम ? इसके लिएहमें पहले ‘द्रस्टीदोश और जीवन’ का मर्म समझना होगा।

एक द्रस्टिहीन व्यक्ति भी चाहता है के वह एक आम इंसान की तरह पढ़ सके, काम कर सके, व्यापार कर सके, सम्मान से जीसके।

वहीं एक द्रस्टिबाधित व्यक्ति आँखों की बेहतर रोशनी चाहेगा जो उसका जीवन यापन सुगम बनाये रक्खे।एक्विटास बैंक के CSR पहल अनुसार उक्त दोनों ही तरह के व्यक्तियों का जीवन सुखद और समृद्ध किया जा रहा हैं।द्रस्टीहीनो हेतु “BLIND SKILL TRANING” प्रोग्राम- जो उन्हें हुनर देता है काम करने और अपना जीवन यापन अपने  बलबूते पर करने का।

और द्रस्टीबाधितों के लिए ” FREE EYE CAMP” प्रोग्राम- जिसमें प्राथमिक जांच से लेकर ऑपरेशन तक सभी सुविधाएं मुफ्त दी जाती है और आँखों की रोशनी को बढ़ाया जाता हैं।जहां “BLIND SKILL TRANING ” प्रोग्राम ने हज़ारो द्रस्टीहीन लोगों के उनके जीवन को आसान बनाया हैं।वहीं द्रस्टीबाधितों के लिए ” FREE EYE CAMP” ने समाज के निर्धन और वंचित लोगों को बेहतर नेत्र ज्योति देने का काम किया हैं ताकि वो फिर से देख पायें सुन्दर जीवन।

साल 2007 से लगातार इस दिशा में एक्विटास बैंक की बियॉन्ड बैंकिंग सोच काम कर रही हैं।भारत के अलग अलग हिस्सों में लगाए हुए FREE EYE CAMP से अब तक 26 लाख लोगों ने उम्मीद की रोशनी हासिल की हैं । किसी व्यवसायिक संगठन की ऐसी पहल ही करती है एक बेहतर समाज समाज का निर्माण और फैलाती है   

“उम्मीद की रोशनी”

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