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बदलाव दुनिया का महत्वपूर्ण नियम हैं , जो बदलता नहीं वो समय के साथ आगे नहीं बढ़ पाता। 

बदलाव की इन्ही कड़ियों में एक प्रमुख कारक रही है प्रकृति !

जब भी प्रकृति ने करवट ली है, तब तब सभ्यताओं को अपने जीने के तरीकों में बदलाव की जरुरत महसूस हुयी हैं।

मानव सभ्यता ने बीते वक़्त में ऐसी ऐसी विभीषिकाओं का सामना किया है जिसने इन्सानी जीवन को बदल कर रख दिया।

ऐसी ही प्राकृतिक आपदा थी कोरोना !

जिसने दुनिया को दहला के रख दिया।

जीवन तो जैसे थम सा गया था ।

हर तरफ से बस एम्बुलेंस के सायरन ही सुनाई देते थे। समाचारों में बढ़ते आंकड़ों और बेबस लोगो के किस्से ही दिखाए जा रहे थे। सब काम काज थप हो गये, बिना अनुमति घर से निकलना मना था,

जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया इस त्रासदी को झेल रही थी और जैसे तैसे इस से बचने की कोसिस में थी ,

वहीं कुछ लोगों ने इसमें भी मुनाफाखोरी के रास्ते निकाल लिए थे।

चीजें ज्यादा दामों पर बेचीं जाने लगी, लोग जरुरत के सामान की जमाखोरी करने लगे। मनमाना किराया वसूला जाने लगा। इस आपदा ने समाज को सोचने के लिए मजबूर कर दिया था।

पर आपदाओं में ही निकल कर आते है कुछ हीरों , हमारे ही बीच के कुछ लोग जो जीवन का मूल्य समझते हैं।

जो बनते है सकारात्मक बदलाव का जरिया।

ऐसे ही एक हीरो बन के उभरा शिवा कुमार !

पेशे से ड्राइवर शिवा कुमार काफी अरसे से किसी और के यहाँ काम करता था

एक रोज आस पास के बच्चों को स्कूल बस में जाते देख उसने एक बस लेने का मन बना लिया था। 

परिवार से सलाह मसवरा करके उसने एक्विटास  बैंक में बस के लिए लोन अप्लाई किया ,

और शुभ महूरत देख अपने सपनो का वाहन घर भी ले आया।

अभी 2 महीने ही बीतें थे, सब अच्छा चल रहा था के

कोरोना महामारी ने सब कुछ बंद करवा दिया ! 

काम बंद होने की चिंता और परिवार के सुरक्षा की फ़िक्र , बहुत कसमकस की मनोस्तिथि हो चली थी शिवा कुमार की। 

तभी एक्विटस बैंक से उसको एक उम्मीद भरा फ़ोन आया, उसकी किस्तों में सहूलियत कर दी गयी थी ,

पर्याप्त वक़्त भी दिया गया जिससे जीवन पर फर्क ना पड़े।

पर काम की चिंता अब भी उसके मन में थी ।

एक रोज शिवा कुमार के पड़ोसी ने उसको मदद के लिए आवाज़ दी,

किसी को हॉस्पिटल ले जाना था और एम्बुलेंस वाले तिगुना किराया मांग रहे थे।

शिवा कुमार ने अपनी स्कूल बस में उन्हें समय रहते अस्पताल पहुंचाया।

लौटते वक़्त सड़क पर दौड़ती एम्बुलेंसों को देख शिवा कुमार ने सोचा,क्यों ना स्कूल बस को एम्बुलेंस में बदल लिया जाये,

जरुरतमंदो को न्यूनतम किराये पर एम्बुलेंस सुविधा भी मिल जाएगी और उसे रोजगार।

पर कहा से सुरु करना है यह उसको अब भी समझ नहीं आ रहा था।

उम्मीद के साथ उसने एक्विटास बैंक से मदद की गुहार लगायी। एक्विटास बैंक अधिकारियो ने चिकित्सा विभाग से संपर्क कर उसको अस्थायी एम्बुलेंस लाइसेंस दिलवाया और सभी जरुरी कागजात तैयार करवाए गए .

स्कूल बस को पूर्ण चिकित्सा सुविधाओ से युक्त करके शिवा कुमार निकल पड़ा जरुरतमंदो के लिए ।

जाने कितने लोगों के जीवन को वक़्त रहते शिवा कुमार ने बचा लिया,

कितने ही लोगों होंगे जिनके अस्पताल पहुंचने में पैसे की कमी आड़े नहीं आयी।  

बुरे दौर में ऐसे ही हीरो तो बचाते है समाज को,

बस इन्हे एक सहारा दो और ये समाज का सहारा बन जाते हैं।

एक्विटास बैंक के जरा से सहारे से शिवा कुमार ने अच्छाई की एक मिसाल कायम कर दी।

इसे ही तो कहते है सकारात्मक बदलाव।

और

सकारात्मक बदलाव के लिए जरुरी है सकारात्मक बैंकिग  !

बियॉन्ड बैंकिंग !

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